PE Ratio Kya Hota Hai|Why PE Ratio is Important|

PE रेशो जिसका पूरा नाम प्राइस टू अर्निंग रेशो होता है
किसी भी शेयर का फंडामेंटल एनालिसिस करने के लिए सबसे जरूरी पैरामीटर माना जाता है यदि आप भी PE रेशो के बारे में जानना चाहते हैं तो इस ब्लॉग को अंत तक अवश्य पढ़े तो चलिए शुरू करते हैं आज का यह ब्लॉग PE Ratio Kya Hota Hai|Why PE Ratio is Important|

PE Ratio कितना होना चाहिए?

PE रेशो कितना होना चाहिए यह जानने से पहले लिए जानते हैं कि आखिर PE रेशो होता क्या है ?

PE रेशो यानी की प्राइस तो अर्निंग रेशो वह रेशो होता है जिसके मुताबिक आप किसी कंपनी में ₹1 कमाने के लिए कितना पैसा दे रहे हो|

साधारण शब्दों में कहें तो मान लो आपको किसी कंपनी में ₹1 कमाने के लिए ₹15 देने पड़ रहे हैं तो उसका PE रेशो 15 का होगा|

वहीं कुछ कंपनियों में आपको ₹1 कमाने के लिए 1 हजार रुपए देने पड़ते हैं तो कुछ कंपनियां मैं आपको ₹1 कमाने के लिए 5 से ₹10 के बीच में देने पड़ते हैं|

इसीलिए कहते हैं कि शेयर मार्केट में ज्यादा PE रेशो वाली कंपनियां इन्वेस्टमेंट के लिए अच्छी नहीं मानी जाती है|

किसी भी कंपनी का प्राइस तो अर्निंग रेशों कितना होना चाहिए इसके बारे में सटीक जवाब दे पाना काफी मुश्किल है|

मार्केट जानकारों के अनुसार जिस कंपनी का प्राइस तो अर्निंग रेशों 30 से कम होता है उन कंपनियों में निवेश करना एक बेहतर विकल्प साबित हो सकता है|

हालांकि शेयर मार्केट में काफी ऐसी कंपनियां है जिनका PE रेशो काफी ज्यादा हाई है लेकिन वह कंपनियां काफी ज्यादा ग्रोथ कर रही है और पिछले कई समय से काफी ज्यादा रिटर्न बना कर दे रही है|

इसलिए आप केवल PE रेशो को देखकर ही किसी कंपनी में निवेश का निर्णय नहीं ले सकते हैं और ना ही आपको लेना चाहिए|

शेयर मार्केट में 10 से लेकर 30 तक का प्राइस टू अर्निंग रेशो वाली कंपनियों में निवेश करना बेहतर माना जाता है|

आप पढ़ रहे हैं PE Ratio Kya Hota Hai|Why PE Ratio is Important|

शेयर खरीदने का सही समय क्या है?

शेयर मार्केट में शेयर खरीदने का सबसे सही समय क्या है इसका जवाब हालांकि आपको कोई एक बेहतर ट्रेडर ही दे सकता है लेकिन जितना मैं मार्केट के बारे में जानता हूं तो मुझे लगता है

कि सुबह ट्रेडिंग का पहला घंटा (9:15 – 10:15) और शाम को ट्रेडिंग का आखिरी घंटा 14:30-15:25) ट्रेड करने के लिए और किसी भी शेयर में निवेश करने के लिए सबसे बेहतर साबित होता है|

हालांकि मार्केट के ज्यादातर जानकार सुबह के पहले आधे घंटे को ट्रेडिंग के लिए सबसे बेहतर समय मानते हैं|

पीई अनुपात की गणना कैसे करें?

किसी भी कंपनी का PE रेशो यानी की प्राइस तो अर्निंग रेशो निकालने के लिए एक फार्मूला लगाया जाता है इस फार्मूले की मदद से आप ज्ञात कर सकते हैं कि कंपनी में पैसा कमाने के लिए आपको उस कंपनी के कितना पैसा देना पड़ेगा|

किसी भी कंपनी का PE रेशो कैसे निकालते हैं आप इस फार्मूले को नीचे दी गए इमेज की मदद से समझ सकते हैं :-

PE Formula PE Ratio Kya Hota Hai|Why PE Ratio is Important|

क्या ज्यादा PE Ratio अच्छा नहीं होता

जी नहीं शेयर मार्केट में ज्यादा PE होना किसी भी कंपनी को खराब प्रदर्शित नहीं करता है|

शेयर मार्केट में कहा जाता है कि किसी भी कंपनी का पे ज्यादा होने से उसे कंपनी में निवेश नहीं करना चाहिए लेकिन ऐसा बिल्कुल भी सही नहीं है|

शेयर मार्केट में कुछ सेक्टर ऐसे होते हैं जिनका PE हाई ही रहता है वहीं कुछ सेक्टर ऐसे हैं जिसमें बैंकिंग सेक्टर प्रमुख है उनमें मैक्सिमम स्टॉक का PE से कम ही रहता है|

इसीलिए केवल PE को ध्यान में रखते हुए किसी कंपनी में निवेश न करें बल्कि उसकी पास्ट परफॉर्मेंस और फ्यूचर ग्रोथ ऑपच्यरुनिटीज को देखते हुए ही निवेश करें|

जैसे कि अडानी के लगभग सभी शेयर का PE रेशो 100 से ऊपर ही होता है लेकिन आप सभी जानते हैं कि अडानी की कंपनियों में कितना दम है

और यह कंपनी आने वाले समय में कहां से कहां तक पहुंच सकती है और इनमें आपका पैसा कितना ज्यादा गुना हो सकता है|

वही सभी बैंकिंग सेक्टर जैसे कि HDFC,ICICI बैंक, AXIS बैंक, कोटक महिंद्रा बैंक इन सभी का PE रेशो जो है वह 20 से कम है|

लेकिन इसका मतलब यह नहीं कि यह स्टॉक अडानी के स्टॉक से कहीं ज्यादा बेहतर रिटर्न दे सकते हैं
यह केवल सेक्टर की बात है जो बदलता रहता है|

बैंकिंग सेक्टर काफी स्थिर रहता है जबकि अन्य सभी सेक्टर काफी उतार-चढ़ाव से गुजरते रहते है|

इसीलिए शेयर मार्केट में निवेश करने या ट्रेडिंग करने से पहले पे रेशो के अलावा अन्य भी कई सारे पैरामीटर का अध्ययन करना आपके लिए अति आवश्यक है

मुझे उम्मीद है इस ब्लॉग PE Ratio Kya Hota Hai|Why PE Ratio is Important| से आपको कुछ नया सीखने को मिल रहा होगा|

टॉप 10 बड़ी कम्पनियाँ जिनका PE Ratio 20 से कम है

जैसा कि हम आपको पहले ही बता चुके हैं कि पे रेशों से हम किसी भी कंपनी के भविष्य का अंदाजा नहीं लगा सकते हैं…

क्योंकि PE रेशो कई बार सेक्टर पर भी निर्भर करता है कंपनी किस सेक्टर में काम करती है कंपनी के सेक्टर के ग्रोथ होने के का क्या चांसेस है यह सब बातें मैटर करती है|

आप फिर भी सेफ इन्वेस्टमेंट करने की सोच रहे हैं और 20 से कम PE रेशो वाली कंपनियों की तलाश कर रहे हैं तो आप नीचे दिए गए इमेज की मदद से देख सकते हैं..

भारत की टॉप 10 कम्पनियाँ जिनका PE 20 से कम है, जिनका बिजनेस काफी ज्यादा स्ट्रांग है और जिनके भविष्य में ग्रोथ होने के चांसेस काफी ज्यादा दिखाई दे रहे हैं…

Less PE Companies PE Ratio Kya Hota Hai|Why PE Ratio is Important|
Less PE

क्या PE Ratio बदलता रहता है

जी हां किसी भी कंपनी का प्राइस टू अर्निंग रेशों हमेशा बदलता रहता है|

यह कंपनी के रिजल्ट्स पर,कंपनी के प्रदर्शन पर और कंपनी के ऊपर पड़ने वाली खबरों के आसार पर भी निर्भर करता है|

यदि कंपनी काफी ज्यादा ग्रोथ करती है और काफी ज्यादा रिटर्न बना कर देती है तो ज्यादातर समय कंपनी का PE रेशो ऊपर बढ़ता जाता है|

वहीं यदि किसी कारणवश कंपनी का मार्केट कैप नीचे गिरता है या कंपनी के स्टॉक प्राइस में भारी गिरावट आती है तो कंपनी का PE रेशो कम हो जाता है|

कंपनी का PE रेशो स्थिर नहीं रहता है इसलिए हमेशा कंपनी का PE रेशो जानने के लिए लेटेस्ट अपडेट लेते रहे|

पीई अनुपात ज्यादा होने पर क्या होता है?

PE रेशो ज्यादा होने पर यह प्रदर्शित होता है कि कंपनी में आपको पैसे कमाने के लिए ज्यादा Pay करना पड़ेगा|

यानी कि जिस कंपनी का प्राइस तो अर्निंग रेशो ज्यादा होता है तो उस कंपनी में आपको प्रॉफिट के लिए ज्यादा पैसा इन्वेस्ट करना पड़ेगा|

हालांकि कंपनी का प्राइस टू अर्निंग रेशो कम या ज्यादा होना उसके सेक्टर पर भी निर्भर करता है
इसके बारे में हम आपको पहले ही बता चुके हैं|

नेगेटिव पीई रेश्यो का क्या मतलब है?

यूं तो शेयर मार्केट में कहा जाता है कि किसी भी कंपनी का PE जितना कम होता है वह कंपनी उतनी ही बेहतर मानी जाती है

लेकिन इसका मतलब यह बिल्कुल भी नहीं है कि कंपनी का PE रेशो नकारात्मक होना अच्छा है|

जिस कंपनी का प्राइस टू अर्निंग रेशो नकारात्मक होता है उसका सीधा-सीधा मतलब यह है कि कंपनी काफी लंबे समय से घाटे में चल रही है यानी की कंपनी प्रॉफिट कमाने में असफल है|

और इस तरह की कंपनी में इन्वेस्ट करना आपके लिए जोखिम भरा हो सकता है इसलिए इन्वेस्टमेंट या ट्रेडिंग से जुड़े किसी भी निर्णय को लेने से पहले कंपनी का फंडामेंटल एनालिसिस जरूर कर ले|

साधारण शब्दों में कहें तो जिस भी कंपनी का प्राइस टू अर्निंग रेशो नेगेटिव होता है वह कंपनी लॉस या घाटे में होती है|

Negative PE PE Ratio Kya Hota Hai|Why PE Ratio is Important|
Negative PE Ratio

अगर यह ब्लॉग PE Ratio Kya Hota Hai|Why PE Ratio is Important|आपके लिए informative है तो कमेन्ट करके motivate अवश्य करें|

0 पीई अनुपात का क्या मतलब है?

जीरो PE रेशो वाली कंपनी भी आमतौर पर घाटे में ही होती है यानी की कंपनी काफी लंबे समय से प्रॉफिट कमाने में असफ़ल है|

लेकिन हां जीरो PE रेशो होना नेगेटिव रेशो से अच्छा होता है और यह कंपनी जल्द ही रिकवरी भी कर सकती है और अपने प्राइस टू अर्निंग को जीरो से एक या पांच की तरफ ले जा सकती है|

लेकिन यदि आप सैफ इन्वेस्टर है तो इस तरह की कंपनी में निवेश से बचे|

बेस्ट भारतीय कम्पनियाँ जिनका PE Ratio ज्यादा है

हालांकि हम आपको पहले भी बता चुके हैं कि शेयर मार्केट में ज्यादा प्राइस टू अर्निंग रेशो को अच्छा नहीं माना जाता है

लेकिन भारत में फिर भी कई सारी ऐसी कंपनियां है जिनका प्राइस टू अर्निंग रेशो भी काफी ज्यादा है लेकिन इन कंपनियों ने पिछले कई सालों से बेहतर रिटर्न बनाकर अपने निवेशकों को दिया है

इस सूची में ज्यादातर टाटा और अडानी ग्रुप की कंपनियां शामिल है|
जिनकी ग्रोथ अपॉर्चुनिटी और काबिलियत के बारे में शक नहीं किया जा सकता है|

इसीलिए आप ज्यादा PE रेशो को देखकर असमंजस में ना पड़े और कंपनी का संपूर्ण फंडामेंटल एनालिसिस करके ही निर्णय लें|

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High PE Companies

PE Ratio Kya Hota Hai|Why PE Ratio is Important|Conclusion (निष्कर्ष)

प्राइस टू अर्निंग रेशों क्या होता है किस तरह से काम करता है इस पूरे आर्टिकल को पढ़ने के बाद हम इस निष्कर्ष पर पहुंचे हैं की प्राइस टू अर्निंग रेशों जितना कम हो उतना बेहतर माना जाता है|

लेकिन इसका मतलब यह कतई नहीं है कि कंपनी का प्राइस टू अर्निंग रेशो नेगेटिव हो या कंपनी का प्राइस टू अर्निंग रेशो ज्यादा होना भी गलत नहीं है|

क्योंकि कई सारी कंपनियां ऐसी होती है जिनका प्राइस टू अर्निंग रेशो तो ज्यादा होता है लेकिन वह कंपनी रिटर्न भी काफी जबरदस्त बना कर देती है|

इसीलिए यदि आप निवेशक है तो कंपनी में निवेश के लिए मात्र प्राइस टू अर्निंग रेशो को ही ना देखें बल्कि इसके अन्य पेरिमीटर और फंडामेंटल्स को भी जरूर चेक कर ले|

I hope आप जिस प्रश्न का जवाब ढूँढने इस ब्लॉग PE Ratio Kya Hota Hai|Why PE Ratio is Important|पर आए थे वह आपको मिल गया होगा|

अच्छा PE रेश्यो कितना होना चाहिए?

शेयर मार्केट में 30 से कम का PE Ratio अच्छा माना जाता है|

PE अनुपात का अर्थ क्या है?

यह एक ऐसा मेट्रिक है जो बताता है कि आपको किसी कंपनी में 01 रुपये कमाने के लिए कितने रुपये Pay करने होंगे|

1 लॉट का मतलब कितने शेयर?

शेयर मार्केट में 1 लौट का मतलब 100 शेयर होता है|

क्या 80 पीई अनुपात अच्छा है?

नहीं
80 का PE ज्यादा माना जाता है हालांकि यह सेक्टर और कंपनी ग्रोथ पर भी निर्भर करता है|

शेयर बाजार में कितने सेक्टर होते हैं?

स्टॉक सेक्टर कंपनियों का एक समूह है, जो एक ही व्यावसायिक गतिविधि में संलग्न होता है। स्टॉक मार्केट के 11 क्षेत्र हैं|

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PE Ratio in Hindi

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